Dhan (Kharif) Ki Kheti: धान की खेती हमारे देश की एक बहुत ही बड़ी फसल है। जिसको खाने की चाह देश के लगभग 65% लोगो की होती है। जैसा की आप सभी को पता ही होगा कि अब धान (खरीफ) की खेती के बुआई का दिन काफी नजदीक आ गया है और इसकी तैयारी काफी जोर शोर से ही रही है। इसके लिए सभी लोग बीज के लिए अपने अपने खेतो को तैयार कर रहे हैं।
धान उत्पादन वाला मुख्य राज्य
Dhan (Kharif) Ki Kheti : हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से इस बात से अवगत करवा दे की आज के समय में हमारे देश भारत की 65 प्रतिशत जो आबादी है । वो सबसे ज्यादा आंशिक रूप से केवल धान (खरीफ) पर ही निर्भर है। Dhan (Kharif) Ki Kheti जो है वो महज छह राज्यों से सबसे ज्यादा यानी की लगभग माने तो 80 फीसदी उपज करने वाला राज्य असम, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उड़ीसा तथा पश्चिम बंगाल है।
अगर इन सभी राज्यों में मुख्य राज्य धन की खेती को करने वाला अगर कोई है तो उसे पश्चिम बंगाल के नाम से जाना जाता है। लोगो का कहना है की यहां लगभग 54.35 लाख हेक्टेयर में धान (खरीफ) की खेती होती है। जिससे लगभग सालाना उम्मीद की जाती है की 147.02 लाख टन धान का उत्पादन हो जाता है तत्पश्चात इसके उपरांत उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार तथा छत्तीसगढ़ जो राज्य है। वो भी धन की खेती के लिए मशहूर प्रांत माना जाता है।
बेहतर धान (खरीफ) की खेती कैसे करें:
Dhan (Kharif) Ki Kheti : धान की खेती की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए सबसे पहले हमे धान के पौधे को नर्सरी में या फिर किसी नमीयुक्त खेत को पूरी तरह से तैयार कर लेना होता है। जिसमे चाहे तो आवश्यकता अनुसार खाद-खड़ी इत्यादि पदार्थ भी डाल सकते है। Dhan (Kharif) Ki Kheti हेतू बीज को तैयार करने के लिए पूरी मात्रा में सिंचाई के साथ जहां बीज डालना है।
वहां की स्थल नमीयुक्त होना अनिवार्य है। धान फसल की बेहतर उत्पादन के लिए हमारी जो खेत है। उसको आधुनिक तरीको से कृषि मशीनरी की सहायता लेकर अच्छा करना चाहिए। अगर देखा जाए तो अन्य फसल के तुलना में धान की जो खेती है उसमे काफी मेहनत और खर्च भी ज्यादा मात्रा में है। वही पे जिन-जिन किसानो ने वैज्ञानिक तरीके को अपनाकर सही तरीके से खेती को करते है। उन्हे खर्च में थोड़ी राहत प्रदान होती है। साथ ही साथ उनकी फसल के उत्पादन में भी इजाफा देखने को मिलती है।
आपको बता दे की धान की खेती को अच्छे उत्पादन करने के लिए सबसे जरूरी है । उसकी अच्छी तरह से जुताई। अगर आप धान के फसल के लिए खेत को तैयार कर रहे हैं तो आपको सबसे विशेष रूप से उसकी जुताई पे ध्यान देते हुए खूब अच्छे से जुताई करवाए। जो की आगे के तरफ फायदा प्रदान करेगा। अगर आपके पास कंपोसिस्ट प्रकार के खाद पदार्थ है। जैसे की गोबर तो उसे खेतो में जरूर डाल के प्रयोग में लावें।
वो बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। अगर खेत की जुताई सिंचाई और सभी बातो का ध्यान रखते हुए धान की खेती को आप करते हैं तो आपके खेत में धान की जड़े जो होगी वो बहुत ही मजबूत होगी और Dhan (Kharif) Ki Kheti में बहुत ही आसानी पूर्वक वृद्धि होगी। साथ ही साथ आपके पूरे खेत की फसल का संपूर्ण विकास होगा। वही पे इस बात को बता दे की Dhan (Kharif) Ki Kheti मे खर पतवार भी बहुत ही बड़ी अहम महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
धान की खेती के दौरान आपको अच्छी बीज के साथ साथ खेतो की जलवायु, मिट्टी एवम पानी इन सभी चीजों को भी ख्याल करना चाहिए। ये भी एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता का कारण बनता है। धान की खेती करते समय आपको अपने खेतो में समय समय पर सिंचाई करना अति आवश्यक है।
एवम खेत बुवाई करने से पहले आप अपने खेतो की मिट्टी में जुताई के दौरान यूरिया, पोटास, जिंक एवम अन्य प्रकार के रसायन पदार्थ मिक्स कर के खेतों की जुताई करवाए। साथ ही साथ अगर आप चाहे तो खेतो की खर पतवार को नष्ट करने के लिए भी रसायन पदार्थ का प्रयोग कर सकते हैं। जो की बाद में काफी फायदेमंद साबित होगा।
बुवाई के समय खेतो में पूरी तरह से भरपूर मात्रा में सिंचाई होनी चाहिए। पानी की मात्रा में खेतो में कमी नहीं होनी चाहिए तथा बुवाई के कुछ दिन बाद आप यूरिया को अपने खेतो में प्रयोग कर सकते है।
धान की खेती हेतू वैज्ञानिक रिसर्च एवम विधि को अपनाकर ज्यादा से ज्यादा फसल की उत्पादन Dhan (Kharif) Ki Kheti के लिए अनेक प्रकार के बीजों को उपयोग में लाया जाता है।
जैसे की बासमती धान, सोना मंसूरी, पटेल धान, मोटा धान, राजेंद्र धान इत्यादि और भी बहुत सारे प्रकार के भिन्न भिन्न धान के बीज मौजूद होते हैं। बाजारों में, आप अपने अनुसार एवम अपने खेतो के अनुसार बीज को अपने खेतो मे उपयोग कर सकते हैं।
धान (खरीफ) की खेती Dhan (Kharif) Ki Kheti हेतू जलवायु
Dhan (Kharif) Ki Kheti: जलवायु को लेकर अगर हम धान (खरीफ) की खेती की बात करें तो औसतन तापमान की जो मात्रा है वो 25 डिग्री सेल्सियस से लेकर 35 डिग्री सेल्सियस तक होनी चाहिए। वही पे आपको बता दूं की रात में तापमान की मात्रा 18 डिग्री सेल्सियस से लेकर 20 डिग्री सेल्सियस तक चाहिए होती है।
धान की खेती के विकास के लिए भी सामान्य तापमान की अगर बात करें तो वही 28 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच की तापमान को उपयुक्त माना जाता है। धान की खेती की पैदावार दोमट मिट्टी, जलोढ मिट्टी, मटियार मिट्टी, हल्की दोमट मिट्टी में बहुत अच्छी पैदावार की उपज होती है। अगर कही का स्थल ऐसा है जहां पे 2 इंच से लेकर 5 इंच तक पानी है। वहां पे सिंचाई की कोई जरूरत नही है।
धान (खरीफ) की खेती Dhan (Kharif) Ki Kheti हेतू सही समयानुसार सिंचाई:
Dhan (Kharif) Ki Kheti: नियानुसार धान की खेती बरसात के मौसम में की जाती है। प्रक्रतिरूपी मौसम ने अगर किसानो का साथ दिया तो कही दूर से पानी लाकर खेतो में सिंचाई की कोई आवश्यकता नहीं होती है। वर्ना ससमयानुसार खेतो में पानी को समय समय पर देना यानी कि सिंचाई करना बहुत जरूरी होता है।
वर्ना धान की फसल बर्बाद होने की ज्यादा उम्मीद रहते हैं। इसीलिए धान की खेती में पानी न होने की अवस्था में बरसात न होने पे पांच से छह बार सिंचाई की जरूरत होती है। क्योंकि धान की जो खेती है उसमे हमेशा पानी की मात्रा की बहुत जरूरत होती है।
धान (खरीफ) की खेती (Dhan (Kharif) Ki Kheti) की रोपाई
Dhan (Kharif) Ki Kheti: धान की रोपाई करने हेतू सबसे पहले धन की ऊपर के अनुसार बताए हुए नियम को पालन करते हुए आप खेतो को पूर्ण रूप से तैयार कर लें। तत्पश्चात तैयार किए हुए बीज को उखाड़ कर के जिस खेत में रोपाई करनी है उसमे लाया जाता है। उसके बाद थोड़े थोड़े मात्रा में धान के बीज को लेकर के बुवाई/रोपाई की जाती है। जिस खेत में आप धान की रोपाई कर रहे हैं। उस खेत में भरपूर मात्रा में खाद दिया गया होना चाहिए।
ताकि धान के बीज को पोषण मिले और पौधे को वृद्धि होने में कोई रुकावट ना आए। उस खेत में खर पतवार को नाश करने के लिए समयानुसार कीटनाशक का छिड़काव करना होगा एवम ध्यान रहे की पौधो को सही पोषक तत्त्व प्रयाप्त मात्रा में मिले इसके लिए उर्वरक देना की आवश्यता होती है। रोपाई के 10 दिन के अंदर ही खेतो में फास्फेट नाइट्रोजन पोटाश की छिड़काव अत्यंत मात्रा में जरूर करें।
धान (खरीफ) की खेती (Dhan (Kharif) Ki Kheti) की कटाई
Dhan (Kharif) Ki Kheti: धान की खेती की जो कटाई की प्रक्रिया है। उसे अक्टूबर से लेकर नवंबर माह तक कर ली जाती है। क्योंकि उस समय तक उतर भारत में धान पूर्ण रूप से पक्क जाते हैं। धान कटने के तत्पश्चात उसे पीट कर के पौधे से अलग कर लिया जाता है। आपको बता दें कि आज कल भिन्न भिन्न प्रकार के आधुनिक मशीन का उपयोग किया जा रहा है।
जिससे आसानी पूर्वक पौधे से धान को बहुत ही कम समय में अलग कर लिया जाता है। उसके बाद की प्रक्रिया जो है उसे राइस मिलों में ले जाकर के ऊपर के छिलके को हटवा लिया जाता है। जिससे हम चावल प्राप्त हो जाता है।