Gourd cultivation:- लौकी की खेती के विषय पे चर्चा की जाए तो लौकी को खेती सभी मौसम में की जा सकती है। अगर Gourd cultivation की विशेष जानकारी आपको दे तो आप सभी किसान भाई वैज्ञानिक तरीको से लौकी की खेती कर के अच्छी से अच्छी उपज के साथ अच्छे फसलों का उत्पादन कर सकते हैं।
साथ ही साथ आप बहुत ही अत्यधिक मात्रा में अपने खेतो से लौकी को प्राप्त कर सकते हैं और अच्छी मुनाफा के साथ अपने लौकी की सब्जी को बाजार में बेच सकते हैं।
Gourd cultivation के लिए मिट्टी एवम बेहतर तापमान
Gourd cultivation:- लौकी की खेती करने हेतू हमारे किसान भाई अपने खेतो को सबसे पहले अच्छी तरह से रोटा वेटर या काल्टीवेटर के माध्यम से जुताई करवा कर के अपने खेतो की मिट्टी को भूर -भूरा रूप में तैयार कर लेंगे।
एवम खेतो के अनुसार अपने खेतो में पोटास, फास्फोरस जैसे रसायनिक खाद पदार्थ या फिर सबसे बेहतरीन सड़े हुए गोबर या वर्मी कंपोस्ट का उपयोग कर खेतो में अच्छी से डाल कर के पुनः जुताई करवा दे। Gourd cultivation किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। इस फसल के लिए सभी तरह की मिट्टी उपजाउ होती हैं।
लौकी की खेती के लिए हमारे खेतो की pH (पीएच) मान 6.5 से लेकर 7.5 तक होनी चाहिए। इस pH (पीएच) मान को लौकी की फसल के लिए उपयुक्त मानी जाती है। लौकी की अच्छी उपज के लिए अगर तापमान की बात की जाए तो न्यूनतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस तथा अधिकतम तापमान जो है वह 24 डिग्री सेल्सियस से लेकर के 27 डिग्री सेल्सियस तक उपयुक्त होता है।
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Gourd cultivation की उपयुक्त बुवाई का समय एवम विधि
Gourd cultivation:- लौकी खेती की अगर बुवाई की हम बात करें तो सर्दी के मौसम में आप दिनांक 15 जनवरी से लेकर के दिनांक 15 फरवरी तक लौकी की बुवाई आसानी से कर सकते हैं। खरीफ फसल के समय में अगर हम लौकी की खेती के बुवाई के विषय में आपको जानकारी दें
तो हम बता दें कि Gourd cultivation गर्मी के टाइम में दिनांक 15 जून से लेकर के पूरे जुलाई माह तक लौकी की खेती आप आसानी पूर्वक कर सकते हैं और अगर रवि फसल के समय में आप इस लौकी की खेती को करना चाहते हैं तो आप मां सितंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर के अक्टूबर के पहले सप्ताह तक अभी लौकी के बीजों की बुवाई कर सकते हैं।
Gourd cultivation की बुवाई की विधि
Gourd cultivation:- लौकी की खेती दो विधि द्वारा की जाती है। पहली तो बेड विधि तथा दूसरी को मचान विधि के नाम से जाना जाता है। आइए दोनो विधि की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करें।
इन दोनो विधि की जानकारियां निम्नलिखित रूप में है:-
बेड विधि:- बेड विधि की प्रक्रिया से अगर हम आपको लौकी की खेती को करने की संपूर्ण जानकारी कर्मानुगत दे तो सबसे पहले आपको तैयार किए हुए अपने खेतों में क्यारियों को तैयार कर लेना होगा। आपके द्वारा तैयार की गई प्रत्येक क्यारियों के बीच की दूरी कम से कम 3 फीट तथा अधिक से अधिक 4 फीट तक होनी चाहिए। क्यारियों को इस रूप में तैयार करेंगे कि बीच में बची हुई अंतराल को नाली का रूप हम दे सके। जिसमें सिंचाई के दौरान पानी आसानी से ढलावानुमा रूप में जा सके।
अब तैयार खेत में बने हुए क्यारियों पर बीजों की रोपाई करेंगे एवम उसपे मलचिंग पेपर का उपयोग करके अच्छे ढंग से ढक देंगे। बुआई की हुई बीजों के बीच की दूरी कम से कम 2.5 फीट से लेकर के 3.5 फीट तक होनी चाहिए। लौकी की फसल को इस विधि द्वारा बुवाई की प्रक्रिया को बेड विधि के नाम से जाना जाता है।
लौकी के पौधे की बुवाई करने के बाद 3 दिन से लेकर के 4 दिन तक पानी का फुहारा द्वारा उस पर सिंचाई करेंगे। फिर उसके 10 से 15 दिन के बाद पूरे खेतों की सिंचाई कर देंगे उसके बाद मौसम के अनुसार अगर गर्मी हो तो 6 दिन से 8 दिन पर तथा ठंडी हो तो 20 से 25 दिन के अंतराल पर अपने खेतों में सिंचाई करते रहेंगे।
इस प्रक्रिया को आप किसी भी मौसम में अपना सकते है। इस बेड विधि की प्रक्रिया से Gourd cultivation फसलों में ज्यादातर छत्ती होने के डर बहुत कम लगे रहते हैं।
मचान विधि:- Gourd cultivation की बात अगर हमें मचान विधि के जरिए करना है तो सबसे पहले अपने खेतो को ऊपर के द्वारा बताए हुए विधि से तैयार कर लेंगे। उसके बाद तैयार खेत में बांस के खंबे को 8 फीट से लेकर 10 फीट की दूरी पर गार देंगे। खंभे को गाड़ने के बाद उसमे जीआई (GI) तार को काफी मजबूती के साथ बांध देंगे।
जीआई (GI) तार को बांधने के दौड़ान हमे इस बात का ध्यान रखना होगा की तार को सबसे पहले 1 फीट की दूरी पर दूसरे चरण में 3 फीट की दूरी तथा अंतिम में आप 5 फीट की दूरी पे रखेंगे। तार मजबूती के साथ बांधने के उपरांत प्रत्येक तार में धागे को मजबूती के साथ बांध देंगे। जिसके जरिए हम लौकी की पौधे को चढ़ा सके। बांस में बांधे हुए 1 फीट और 3 फीट के GI (जीआई) तार 18 नंबर के होने चाहिए। 5 फीट पर बांधे जाने वाले तार 24 नंबर के होने चाहिए।
इस प्रक्रिया को अपनाने का मुख्य कारण यह है की ऊपर के तरफ जो GI (जीआई) तार 24 नंबर के लगे रहते हैं उसपे लोड ज्यादा पड़ेगा। Gourd cultivation की सभी लोड इसी तार पे रहेगा। इसीलिए हम इस तार को मोटा रूप में बंधते हैं।
उत्पादन
Gourd cultivation: ऊपर के प्रक्रिया को पूरी तरह से अपनाने के उपरांत आप सभी अपनी खेतों में 35 से 42 दिन के बाद देखेंगे कि लौकी की उत्पादन बहुत अच्छे रुक में हो रही है एवं बहुत सारे लौकी आपके खेतो में नजर आएंगे। जिसे तोड़कर आप अपने अनुसार बाजार में बेच सकते हैं।
कीटनाशक एवम बचाव
Gourd cultivation:- लौकी की खेती में कुछ कीट लग जाते हैं।इन सभी पौधों के पत्तो को छिद्रदार बना देते हैं । साथ ही साथ पौधे के पते सुख के राख के जैसे हो जाते हैं एवम पौधो के पत्ते झिल्लीदार से हो जाते हैं। इन सब चीजों से बचने के लिए हमें अपने फसलों में रसायनिक पदार्थ के घोल के छिड़काव विधि को अपनानी चाहिए। जिससे फसल नुकसान होने से बच सके।